वर्जितानि च स्थानानि यानि च कवचेन हि । टीका – कौमारी मेरी जीभ की, भैरवी नेत्रों की, महेशानी कमर तथा पीठ की और महेशभामिनी मेरे कानों की रक्षा करें । अर्थ: हम देवी से प्रार्थना करते हैं कि वे नकारात्मक शक्तियों को निष्क्रिय कर दें और उनकी विनाश पैदा करने https://youtube.com/shorts/CQDKEh9UjJA
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